➨ प्रसिद्ध हिन्दी कहावतें तथा लोकोक्तियाँ | Hindi Proverbs —2
1.
मानो तो देव, नहीं तो पत्थर – विश्वास ही फलदायक
2.
आम का आम गुठली का दाम – सब तरह से लाभ-ही-लाभ
3.
घर की मुर्गी दाल बराबर – घर की वस्तु का कोई आदर नहीं करना
4.
बिल्ली के भाग्य से छींका (सिकहर) टूटा – संयोग अच्छा लग गय
5.
ऊँचे चढ़ के देखा, तो घर-घर एकै लेखा – सभी एक समान
6.
रोजा बख्शाने गये, नमाज लगे पड़ी – लाभ के बदले हानि
7.
मुँह में राम, बगल में छुरी – कपटी
8.
इस हाथ दे, उस हाथ ले – कर्मों का फल शीघ्र पाना
9.
मोहरों की लूट, कोयले पर छाप – मूल्यवान वस्तुओं को छोड़कर तुच्छ वस्तुओं पर ध्यान देना
10.गुड़ खाय गुलगुले से परहेज – बनावटी परहेज
11.नाम बड़े, पर दर्शन थोड़े – गुण से अधिक बड़ाई
12.लश्कर में ऊँट बदनाम – दोष किसी का, बदनामी किसी की
13.उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे – अपराधी ही पकड़नेवाली को डाँट बताये
14.दुधारु गाय की दो लात भी भली – जिससे लाभ होता हो, उसकी बातें भी सह लेनी चाहिए
15.बैल का बैल गया नौ हाथ का पगहा भी गया – बहुत बड़ा घाटा
16.ऊँट के मुँह में जीरा – मरूरत से बहुत कम
17.न रहेगा बाँस, न बजेगी बाँसुरी – झगड़े के कारण को नष्ट करना
18.भैंस के आगे बीन बजावे, भैंस रही पगुराय – मूर्ख को गुण सिखाना व्यर्थ है
19.खेत खाये गदहा, मार खाये जोलहा – अपराध करे कोई, दण्ड मिले किसी और को
20.बेकार से बेगार भली – चुपचाप बैठे रहने की अपेक्षा कुछ काम करना
21.खरी मजूरी चोखा काम – अच्छे मुआवजे में ही अच्छा फल प्राप्त होना
22.नौ की लकड़ी नब्बे खर्च – काम साधारण, खर्च अधिक
23.बड़े मियाँ तो बड़े मियाँ, छोटे मिया सुभान अल्लाह – बड़ा तो जैसा है, छोटा उससे बढ़कर है
24.एक पंथ दो काज – एक नहीं, दो लाभ
25.दूध का जला मट्ठा भी फूँक-फूँक कर पीता है – एक बार धोखा खा जाने पर सावधान हो जाना
26.बोये पेड़े बबूल के आम कहाँ से होय – जैसी करनी, वैसी भरनी
27.एक तो चोरी दूसरे सीनाजोरी – दोष करके न मानना
28.नीम हकीम खतरे जान – अयोग्य से हानि
29.भइ गति साँप-छछूँदर केरी – दुविधा में पड़ना
30.कबीरदास की उलटी बानी, बरसे कंबल भींगे पानी – प्रकृतिविरुद्ध काम
31.नाचे कूदे तोड़े तान, ताको दुनिया राखे मान – आडम्बर दिखानेवाला मान पाता है
32.तीन कनौजिया, तेरह चूल्हा – जितने आदमी उतने विचार
33.पानी पीकर जात पूछना – कोई काम कर चुकने के बाद उसके औचित्य पर विचार करना
34.खोदा पहाड़ निकली चुहिया – कठिन परिश्रम, थोड़ा लाभ
35.पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं – पराधीनता में सुख नहीं
36.घड़ी में घर जले, नौ घड़ी भद्रा – हानि के समय सुअवसर-कुअवसर पर ध्यान न देना
37.कहीं का ईंट कहीं का रोड़ा, भानुमति ने कुनबा जोड़ा – इधर-उधर से सामान जुटाकर काम करना
38.पराये धन पर लक्ष्मीनारायण – दूसरे का धन पाकर अधिकार जमाना
39.थूक कर चाटना ठीक नहीं – देकर लेना ठीक नहीं, बचन-भंग करना, अनुचित
40.गाछे कटहल, ओठे तेल – काम होने के पहले ही फल पाने की इच्छा
41.गोद में छोरा नगर में ढिंढोरा – पास की वस्तु का दूर जाकर ढूँढ़ना
42.गरजे सो बरसे नहीं – बकवादी कुछ नहीं करता
43.घर का फूस नहीं, नाम धनपत – गुण कुछ नहीं, पर गुणी कहलाना
44.घर की भेदी लंका ढाए – आपस की फूट से हानि होती हे
45.घी का लड्डू टेढ़ा भला – लाभदायक वस्तु किसी तरह की क्यों न हो
46.चोर की दाढ़ी में तिनका – जो दोषी होता है वह खुद डरता रहता है
47.पंच परमेश्वर – पाँच पंचों की राय
48.तीन लोक से मथुरा न्यारी – निराला ढंग
49.तुम डाल-डाल तो हम पात-पात – किसी की चाल को खूब समझते हुए चलना
50.धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का – निकम्मा, व्यर्थ इधर-उधर डोलनेवाला
No comments:
Post a Comment